मैं दावे से कहता हूँ......
रात सोने से पहले अगर बीवी की पेशानी पर बोसा दें तो यक़ीन जाने वह आपकी मुहब्बत में मुस्कुराते हुए पुर सुकून नींद सोएगी......
बीवी की पेशानी पर बोसे से अक़ीदत पैदा होती है,
बीवी अंदर तक खुद में सुकून और इत्मीनान महसूस करती है,
खुद को बे खौफ़ महसूस करती है, खुद को महफूज़ हाथों में महसूस करती है, खुद को अमीर तरीन औरत महसूस करती है.......
बीवी कितनी ही गुस्सा में हो, कैसा ही झगड़ा हो एक बार पेशानी पर बोसा बीवी को अंदर तक झंझोड़ देता है और ऐसे मौकों पर चंद बीवियां तो शौहर के इस अमल को देख कर खुशी से रो भी पड़तीं हैं........
इसी तरह शहर गांव से बाहर जा रहे हो तो जाते वक़्त उसको सीने से लगाओ और पेशानी पर बोसा दो,
इस अमल से आप जितना वक़्त बीवी से दूर रहोगे बीवी घर में सुकून से रहेगी, मुस्कुराती फिरेगी, लहलहाती फिरेगी, चहचहाती फिरेगी........
इसी तरह खुद पर लाज़िम कर लो कि खाना बीवी के साथ खाना है,
या कम से कम दिन में एक वक़्त का खाना बीवी के साथ खाना है, अगर यह अमल शुरू करेंगे तो यक़ीन जाने एक वक़्त ऐसा आएगा कि अगर आप कहीं मसरूफ हैं तो आप की बीवी भूखी सो जाएगी लेकिन आपके बगैर एक निवाला पेट में नहीं डालेगी और यह मियां बीवी के दरमियान मुहब्बत की एक खूबसूरत दलील है.....
खाना खाते वक़्त हाथ से दो निवाले बीवी को खिला देंं,
यह अमल शौहर और बीवी के दरमियान उन्स पैदा करता है, अगर बीवी किसी बात पर नाराज है तो नाराजगी को दूर करने में बेहद मददगार साबित होता है, यह अमल मियां और बीवी के दरमियान मुहब्बत को तक़वियत फराहम करता है......
खाना खाते वक़्त बीवी के बनाए हुए खाने की दो अल्फाज़ में तारीफ़ करें, घर की सफाई या डेकोरेशन या मेहमानों की खिदमत के कामों की तारीफ करें, नेक कामों की तारीफ करें यह बीवी का हक़ है, इससे बीवी के अंदर हौसला पैदा होता है......
यह दो चार बातें थीं जिन पर अमल करके जिंदगी को बहुत ज़्यादा खूबसूरत बनाया जा सकता है,
लोग कहते हैं सालक शफीक़ बातें तो खूबसूरत लगते हैं लेकिन अमली तौर पर मुश्किल है, अरे जनाब कैसी मुश्किल इन आमाल को करने में...??
न हमारे पैसे लगते हैं न हमारा वक़्त ज़ाया होता है,
और न ही किसी किस्म की कोई मुश्किल पेश आती है,
जनाब जिंदगी को खूबसूरत बनाना पड़ता है, खूबसूरत जिंदगी बाजार में नहीं मिलती, खुद बनाना पड़ता है।
बहुत से लोग हैं जो अना के अंदर यह आमाल नहीं करते,
एक जगह पढ़ रहा था रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पानी पीने के लिए प्याले पर वहां होंट लगाते थे जहां से उनकी ज़वजा रज़ी अल्लाह अनहा ने होंट लगा कर पानी पिया हो।
जनाब इस दुनिया की तमाम तर इज्ज़तों को इक़ठ्ठा कर लिया जाए तो रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जूती मुबारक में लगी खाक के एक ज़र्रे की बराबरी नहीं कर सकती,
तो ज़रा देखें दोनों जहानों के सरदार का अपनी बीवियों के साथ कैसा मामला था, हम पढ़ेंगे तो हमें मालूम होगा न,
हमें हमारे ऑफिस वर्क, दोस्तों और मोबाईल से फुर्सत नहीं मिलती,
लिहाजा अपनी अना को छोड़कर इन आमालों को जिंदगी में लाना बहुत ज़रूरी है, ताकि आपकी शादी शुदा जिंदगी एक खुशगवार शादी शुदा जिंदगी बन जाए, वरना दुनिया में करोड़ों लोग जिंदगी गुज़ार रहे हैं, आप भी गुज़ार लेंगे किया फर्क़ पड़ता है।
मैं अक्सर कहता हूं जिंदगी को गुज़ारना नहीं है, जिंदगी को जीना है और यह काम अपनी अना को छोड़े बगैर मुमकिन नहीं, हमें अशरफ मखलूकात बनाया गया है वरना जिंसी ख्वाहिश जानवर भी पूरी कर लेता है......!!
2 Comments
La javab........... likha hai uncle apne
ReplyDeletenice
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