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झूठी ख़बरों और नफ़रत भरे भाषणों को अब कहें – ना



झूठी ख़बरों और नफ़रत भरे भाषणों को अब कहें – ना



आज हमारे देश में सबसे ख़तरनाक बीमारी क्या है? जिसकी वजह से मासूम लोगो का जीवन ख़तरे में पड़ता नज़र आता है। चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी भी समाज से जुड़े हो, हर कोई इसका शिकार बनता जा रहा है। हम बात कर रहे हैं अफवाहों और नफ़रत भरे बयानों के बारे में। आज कल तो जैसे एक रीत चल पड़ी है कोई भी मैसेज आया लोग उसे बिना चेक किये बाकि लोगो तक पंहुचा देते हैं। उस मैसेज के पीछे की सच्चाई कोई नहीं जानना चाहता। इसका शिकार ज़्यादातर वो लोग होते हैं जो डिजिटल मीडिया के बारे में बहुत सी बातें नहीं जानते। उनका किसी विचारधारा का समर्थन उन्हें इतना अँधा बना देता है कि इन अफवाहों की वजह से होने वाले नुकसान के बारे में लोग सोचना ही नहीं चाहते।
दूसरी बड़ी समस्या जो है वो है नफ़रत भरे भाषण, क्या कभी इससे होने वाले नुकसान के बारे में सोचा है? भ्रष्ट लोग इन्ही नफ़रत भरी भाषणों के ज़रिये मासूम लोगो को अपना निशाना बनाते हैं। इन नफ़रत भरे भाषणों के परिणाम इतने भयंकर होते हैं कि वो किसी भी समुदाय के लोगों के व्यक्तिगत धारणा को निशाना बनाकर उनसे कुछ भी करा सकते हैं। इन नफ़रत भरे भाषणों के नतीजे ऐसे होते हैं कि कोई भी इलाका बहुत जल्द इसकी चपेट में आजाता है, न जाने कितने लोग अपनी जान गंवा देते हैं, कुछ लोग इन भाषणों से इतने प्रभावित हो जाते हैं कि भीड़ में जाकर किसी की जान तक ले लेते हैं। क्या हमारे दिलों से करुणा और दया बिलकुल ख़त्म हो चुके हैं?

कैसे हम एक दूसरे को मार सकते हैं और इन सबमे उन लोगो का कोई नुकसान नहीं जो नफ़रत भरे भाषण देते हैं अपने फायदे के लिए।
इसमें आम आदमी पीस कर रह जाता है और बरसों तक ख़ौफ़ की ज़िन्दगी जीता हैं। वो ख़ौफ़ जो उसे हर वक़्त अपनों की मौत का एहसास दिलाता है, वो आशियाने जो उन्होंने बरसो की महनत करके बसाये थे एक दिन अचानक उसे खो देने का दर। आखिर कब तक लोग इन झूठी अफवाहों का शिकार बनते रहेंगे? इन घटनाओ का असर एक लम्बे वक्त तक रहता है, ज़रा सोचिये एक ग़लत मैसेज आगे पहुंचने में कुछ लम्हे लगते हैं, मगर उस से होने वाला नुकसान हमेशा रहता है।

ये अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इन साज़िशों का शिकार न हों, हम कोई भी ऐसा काम न करें जिससे हमारे समाज को नुकसान पहुंचे। कुछ भी ऐसी ख़बर जो किसी समुदाय को नुकसान पहुचाये हमे उसे बिना सोचे समझे किसी को पहुंचना नहीं चाहिए, एक ज़िम्मेदार नागरिक बन कर अपने देश को इस नफ़रत की आग में जलने से हमे ही बचाना है। आज भले ही ये किसी और समुदाय को निशाना बना सकती हैं लेकिन कल ये आग आपको भी जला सकती है। तो हमे समझदारी से काम लेना होगा और इस बात का भी ध्यान रखना होगा की हम किसी भी असामाजिक बात का शिकार न बने।


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